बारिश के दिनों में जान जोखिम में डालकर स्कूली बच्चे जा रहे पढ़ाई करने
2022 में 7 करोड़ रुपए पास, अब तक नहीं बना पुल गरियाबंद। जिले के अमलीपदर सूखा तेल नदी पर 40 गांव के लोगों की सहूलियत के लिए 2022 में 7 करोड़ की लागत से उच्चस्तरीय पुल निर्माण की शुरुवात की गई थी. पीडीडब्ल्यूडी के सेतु शाखा के देखरेख में काम शुरू तो हुआ पर दो साल में भी काम पूरा नहीं हो पाया. पांच में से एक भी पिल्हर खड़ा नहीं किया गया है. अब बारिश के दिनों में स्कूली बच्चे जान जोखिम में डालकर पढ़ाई करने जा रहे. वहीं आवाजाही करने वाले हर एक सख्स को खतरा मोल लेना पड़ रहा है. अमलीपदर को नेशनल हाइवे 130 से जोड़ने वाले इस रपटे पर अब आवाजाही करना किसी दुर्घटना को न्यौता देने के बराबर है. पार जाना मजबूरी है. ऐसे में हर जरूरतमंद इस जानलेवा रास्ता को आवाजाही के लिए मजबूरी में चयन करता है. शिक्षकों को स्कूल जाना हो या हायर सेकेंडरी के बच्चों को स्कूल आना हो, वे जोखिम उठाकर आवाजाही कर रहे हैं. आए दिन हादसे भी हो रहे, कुछ लोगों की जान भी गई, पर मजबूरी के चलते इस पर गुजरना लोगों ने नहीं छोड़ा है.
2022 में 7 करोड़ रुपए पास, अब तक नहीं बना पुल
गरियाबंद: जिले के अमलीपदर सूखा तेल नदी पर 40 गांव के लोगों की सहूलियत के लिए 2022 में 7 करोड़ की लागत से उच्चस्तरीय पुल निर्माण की शुरुवात की गई थी. पीडीडब्ल्यूडी के सेतु शाखा के देखरेख में काम शुरू तो हुआ पर दो साल में भी काम पूरा नहीं हो पाया. पांच में से एक भी पिल्हर खड़ा नहीं किया गया है. अब बारिश के दिनों में स्कूली बच्चे जान जोखिम में डालकर पढ़ाई करने जा रहे. वहीं आवाजाही करने वाले हर एक सख्स को खतरा मोल लेना पड़ रहा है. अमलीपदर को नेशनल हाइवे 130 से जोड़ने वाले इस रपटे पर अब आवाजाही करना किसी दुर्घटना को न्यौता देने के बराबर है. पार जाना मजबूरी है. ऐसे में हर जरूरतमंद इस जानलेवा रास्ता को आवाजाही के लिए मजबूरी में चयन करता है. शिक्षकों को स्कूल जाना हो या हायर सेकेंडरी के बच्चों को स्कूल आना हो, वे जोखिम उठाकर आवाजाही कर रहे हैं. आए दिन हादसे भी हो रहे, कुछ लोगों की जान भी गई, पर मजबूरी के चलते इस पर गुजरना लोगों ने नहीं छोड़ा है.